कहा, भूमि संरक्षण हेतु कृषि विभाग के साथ अन्य विभाग भी मिलकर करें कार्य मत्स्य पालन तथा कृषि विभाग की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की
कहा, भूमि संरक्षण हेतु कृषि विभाग के साथ अन्य विभाग भी मिलकर करें कार्य मत्स्य पालन तथा कृषि विभाग की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण तथा मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश में सेम-ग्रस्त भूमि को सेम-मुक्त करने तथा झींगा पालन के लिए वे आपस में सामंजस्य एवं समन्वय स्थापित कर एक लाख एकड़ भूमि के सुधार के लक्ष्य को हासिल करें।
राणा आज यहां मत्स्य पालन तथा कृषि विभाग की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने भूमि संरक्षण की दिशा में किये जा रहे कार्यों की भी समीक्षा की।
बैठक में कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजा शेखर वुंडरू, मत्स्य पालन विभाग की आयुक्त अमनीत पी. कुमार, कृषि विभाग के निदेशक राजनारायण कौशिक, मत्स्य पालन विभाग के निदेशक पाल राठी तथा उप निदेशक संदीप कुमार बेनीवाल समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
कृषि एवं किसान कल्याण तथा मत्स्य पालन मंत्री ने सर्वप्रथम कृषि एवं मत्स्य पालन विभाग द्वारा विकसित कृषि संकल्प अभियान तथा जलभराव एवं खारे पानी वाले क्षेत्रों को मत्स्य पालन के अंतर्गत लाने संबंधी कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जलभराव वाले क्षेत्रों में तालाब निर्माण कर झींगा मछली पालन को प्रोत्साहित किया जाए। इससे जलभराव से होने वाले नुकसान की अपेक्षा उस खारे पानी का मछली पालन में सदुपयोग हो सकेगा। उन्होंने दोनों विभागों के अधिकारियों को आपस में समन्वय स्थापित कर इस बारे में खास योजना बनाने के लिए निर्देशित किया।
मत्स्य पालन मंत्री को जानकारी दी गई कि विभाग द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में अब तक लगभग 240 एकड़ जलभराव से प्रभावित भूमि की पहचान की गई है, जिनमें से 124 एकड़ भूमि पर तालाबों का निर्माण कर उन्हें मत्स्य पालन के अंतर्गत लाया जा चुका है। उन्हें यह भी बताया गया कि इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
राणा ने भूमि एवं जल संरक्षण से संबंधित गतिविधियां जैसे भूमि सुधार के लिए वर्टिकल ड्रैनेज, सब सरफेस ड्रैनेज व जिप्सम के माध्यम से सुधार, चैक डैम बनाना, रिचार्ज वैल, गली प्लग, क्रेट वायर संरचना, अर्दरन बंध, सुरक्षा दीवार/डंगा, कौजवे, ड्रॉप संरचना, रूफ टॉप रैन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर, कुहल, जल ग्रहण ट्रैंच, पारम्परिक जल स्रोत नवीनीकरण, भूमिगत पाइपलाइन, कपास की खेती को बढ़ावा देने हेतु सुक्ष्म सिंचाईं सहित पक्के तालाब का निर्माण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड सहित पानी की जाँच करने के बारे में विस्तार से समीक्षा की।
कृषि मंत्री ने बजट में प्रस्तावित करीब एक लाख भूमि के सुधार के लक्ष्य को पूरा करने के निर्देश देते हुए कहा कि उक्त विभाग इसके लिए कार्य योजना बनाकर उसको मूर्त रूप दें।
उनको जानकारी दी गई कि प्रदेश में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं में 30 लाख 40 हजार सैंपल जांचने की क्षमता है। "हर खेत स्वस्थ खेत" अभियान के तहत किसानों को उनकी खेत की भूमि की स्वास्थ्य रिपोर्ट व्हाट्सएप के माध्यम से भेजी जा रही है, ताकि किसान मृदा में पोषक तत्वों के हिसाब से खेती कर सकें।
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