स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को लिंगानुपात की स्थिति पर साप्ताहिक समीक्षा बैठक करने के दिए हैं निर्देश 690 रिवर्स ट्रैकिंग और 18 एफआईआर के साथ, एसटीएफ ने हरियाणा में 'बेटी बचाओ' अभियान को किया तेज़
स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को लिंगानुपात की स्थिति पर साप्ताहिक समीक्षा बैठक करने के दिए हैं निर्देश 690 रिवर्स ट्रैकिंग और 18 एफआईआर के साथ, एसटीएफ ने हरियाणा में 'बेटी बचाओ' अभियान को किया तेज़
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री आरती सिंह राव के निर्देश पर हरियाणा में लिंगानुपात की स्थिति पर समीक्षा करने के लिए गठित राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की हर सप्ताह बैठक की जाती है। इसी कड़ी में आज यहां महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं (डीजीएचएस) श्री मनीष बंसल की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई।
बैठक में अवैध गर्भपात पर अंकुश लगाने और 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत राज्य के लिंगानुपात में और सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाने पर चर्चा की गई।
बैठक में जानकारी दी गई कि सरकारी प्रयास काफी कारगर सिद्ध हो रहे हैं और पिछले सप्ताह (14 से 21 जुलाई, 2025) में हरियाणा का लिंगानुपात सुधरकर 917 हो गया, जो पिछले वर्ष इसी सप्ताह 860 था। यदि 1 जनवरी से 21 जुलाई तक की गणना की जाए तो राज्य का लिंगानुपात इस वर्ष 904 पर 2 अंक की वृद्धि के साथ दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 902 था।
डॉ. बंसल ने अधिकारियों को ने अवैध गर्भपात के खिलाफ सख्त निगरानी रखने के आदेश दिए और कहा कि दोषी पाए गए डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द करने सहित अन्य दंडात्मक कार्रवाई भी की जाए।
उन्होंने कहा कि राज्य सभी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) और 12 सप्ताह से अधिक के गर्भपात के मामलों की रिवर्स ट्रैकिंग लागू कर रहा है, खासकर जहां महिलाओं को पहले से ही एक या अधिक बेटियां हैं। अब तक प्रदेश भर में 690 रिवर्स ट्रैकिंग पूरी हो चुकी हैं, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या अंबाला में दर्ज की गई है। इसके चलते संदिग्ध मामलों में कुल 18 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 13 और एफआईआर वर्तमान में प्रक्रिया में हैं। कई निजी अस्पतालों और क्लीनिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, जिन पर कदाचार का संदेह है, साथ ही संबंधित गर्भवती महिलाओं से जुड़े चिकित्सा अधिकारियों, आशा, एएनएम और सहेलियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
डीजीएचएस (पी) कुलदीप सिंह ने सभी सीएमओ और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की और उन्हें गर्भपात के मामलों की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर रिवर्स ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी सीएमओ से पिछले तीन महीनों के एमटीपी मामलों के आंकड़े भी मांगे और गर्भपात के मामलों पर प्रभावी नज़र रखने के लिए ओपीडी केंद्रों पर स्त्री रोग विशेषज्ञों के साथ समन्वय पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन कार्रवाई के दौरान किसी भी कानून-व्यवस्था संबंधी समस्या की स्थिति में पुलिस की सहायता ली जानी चाहिए।
टास्क फोर्स ने कुछ जिलों में पाई गई लापरवाही पर कड़ी आपत्ति जताई और रिवर्स ट्रैकिंग न करने वाले अधिकारियों को चार्जशीट करने का फैसला किया। इसने सभी सीएमओ और पीएनडीटी अधिकारियों को व्यापक रूप से फील्ड छापे मारने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कार्यान्वयन में कोई ढिलाई न हो। अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे अपने जिलों में किए गए किसी भी प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (पीआईजीटी) की रिपोर्ट अनुरोध प्राप्त होने के पाँच दिनों के भीतर दें, ताकि लिंग-आधारित दुरुपयोग की निगरानी और रोकथाम की जा सके।
बैठक में प्रगति की समीक्षा और अंतर-विभागीय प्रयासों के समन्वय के लिए विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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