इतिहास, धर्म, अध्यात्म और परंपराओं से जुड़ा हरियाणा आज कृषि और सहकारिता के सहयोग से किसानों की समृद्धि के नए आयाम गढ़ रहा है
गृह मंत्री ने मिल्क चिलिंग सेंटर, HAFED के आटा मिल, RuPay प्लेटिनम कार्ड, मॉडल पैक्स का पंजीकरण और सहकारिता वर्ष के पोर्टल का लोकार्पण भी किया
खबर खास, चंडीगढ़ :
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज हरियाणा के पंचकूला में कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) द्वारा ‘सतत कृषि में सहकारिता की भूमिका’ विषय पर आयोजित सहकारी सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केन्द्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, केन्द्रीय सहकारिता सचिव डॉ. आशीष भूटानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुएअमित शाह ने कहा कि इतिहास, धर्म, अध्यात्म और परंपराओं से जुड़ा हरियाणा आज धीरे-धीरे कृषि और सहकारिता के सहयोग से किसानों की समृद्धि के नए आयाम लिख रहा है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर कृभको द्वारा आयोजित इस सेमिनार में मिल्क चिलिंग सेंटर, HAFED का आटा मिल, RuPay प्लेटिनम कार्ड, मॉडल पैक्स का पंजीकरण और सहकारिता वर्ष का पोर्टल, जो पूरे देश की सहकारिता से जुड़ी सूचनाएं सहकारिता से जुड़े सभी किसानों तक पहुंचाएगा, का लोकार्पण किया गया।
अमित शाह ने कहा कि देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। उन्होंने कहा कि हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जीवन-यापन खेती, किसानी तथा पशुपालन पर आधारित होता है। उन्होंने कहा कि यदि हम कृषि और पशुपालन को स्वतंत्र व्यवसाय के रूप में देखें, तो ये क्षेत्र बहुत सारे लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। श्री शाह ने कहा कि देश में सबसे अधिक रोजगार यदि किन्हीं दो क्षेत्रों में सृजित होता है, तो वह कृषि और पशुपालन से ही होता है। लेकिन जब हम कृषि और पशुपालन को सहकारिता से जोड़ते हैं, तो यह करोड़ों लोगों को न केवल रोजगार उपलब्ध कराने का काम करता है, बल्कि उन्हें समृद्ध बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
अमित शाह ने कहा कि गुजरात में आज अमूल 36 लाख महिला दुग्ध उत्पादकों को हर साल लगभग 90 हजार करोड़ रुपए वितरित करती है। यदि हम उतने ही दूध को बाजार मूल्य पर बेचें, तो वह मात्र 12 हजार करोड़ रुपए में बिकता। उन्होंने कहा कि इस 12 हजार करोड़ और 90 हजार करोड़ रुपए के बीच का जो अंतर है, वही सहकारिता की ताकत है।
अमित शाह ने कहा कि मोदी जी ने अपनी सरकार आने के बाद कृषि के आधार को मजबूत किया और सहकारिता के माध्यम से मजबूत की गई कृषि को किसानों को समृद्ध बनाने के लिए उपयोग किया। उन्होंने कहा कि कम पानी, कम केमिकल और कम जोखिम नई कृषि नीति की नींव है। इसमें वैज्ञानिक तरीके से सिंचाई करके कम पानी में ज्यादा फसल प्राप्त करना, प्राकृतिक खेती के माध्यम से उर्वरकों का उपयोग कम करना, तथा मिट्टी के परीक्षण से न्यूनतम जोखिम वाली फसलों का चयन करना शामिल है।
अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तब देश का कृषि बजट 22 हजार करोड़ रुपए था, जिसे हमारी सरकार ने बढ़ाकर 1 लाख 27 हजार करोड़ रुपए करने का काम किया है। ग्रामीण विकास का बजट 80 हजार करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 1 लाख 87 हजार करोड़ रुपए किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि आज कोई सरपंच ऐसा नहीं है, और हरियाणा में तो बिल्कुल भी नहीं, जिसे पिछले 10 साल में 10 करोड़, 20 करोड़ या 25 करोड़ रुपए गांव के विकास के लिए न मिले हों। यह विकास के दृष्टिकोण में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है।श्री शाह ने कहा कि फसल बीमा को ज्यादा उपयोगी बनाया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से हर किसान को हर साल 6 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में 1 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। e-NAM के माध्यम से किसानों को उचित दाम मिल रहे हैं। श्री अन्न मिशन, दलहन-तिलहन मिशन, डेयरी सेक्टर की चक्रीय व्यवस्था—इनके अलावा कई प्रकार के इनिशिएटिव्स लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 1 लाख करोड़ रुपए (जो योजना पूर्ण होते-होते 93 हजार करोड़ से बढ़कर 1 लाख करोड़ की हो जाएगी) के माध्यम से पिछले 10 साल में 1 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचित करने का काम भी आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि ढेर सारी पहल करके कृषि क्षेत्र को मजबूत किया गया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय की स्थापना इसलिए की गई ताकि कृषि और पशुपालन के माध्यम से किसान द्वारा पैदा की जाने वाली उपज का पूरा मुनाफा किसान तक पहुँच सके।
श्री अमित शाह ने कहा कि हमने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के लिए मॉडल बायलॉज़ तैयार किए हैं, तथा मल्टीपर्पस PACS के प्रमाण-पत्र किसानों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमने उर्वरक वितरण, कीटनाशक वितरण, कृषि उत्पादों की सफाई, ग्रेडिंग, मार्केटिंग, दवाइयों की दुकान, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, पानी का वितरण—इन सभी सेवाओं को PACS के साथ जोड़ने का काम किया है। लगभग 30 अलग-अलग आयामों को PACS के साथ जोड़कर हमने PACS को मजबूत बनाया है। श्री शाह ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर तीन मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ बनाए गए हैं, जिनमें एक किसानों की उपज को एक्सपोर्ट करने के लिए (National Cooperative Exports Limited - NCEL), एक ऑर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग और प्रमाणीकरण के लिए (National Cooperative Organics Limited - NCOL), और एक बीज के उत्पादन, प्रोक्योरमेंट और वितरण के लिए (Bharatiya Beej Sahkari Samiti Limited - BBSSL) है। उन्होंने कहा कि इन पहलों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की मजबूत नींव डाली गई है।
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