धर्मपुर बस स्टैंड में दस बसें बहीं, शिमला में भूस्खलन की घटनाएं; मलबे में दबी कई गाड़ियां
धर्मपुर बस स्टैंड में दस बसें बहीं, शिमला में भूस्खलन की घटनाएं; मलबे में दबी कई गाड़ियां
खबर खास, शिमला/मंडी :
हिमाचल में मानसून है कि जाने का नाम ही नहीं ले रहा। इस बार मानसून ने यहां भारी तबाही मचाई है। मंगलवार को मंडी में तेज बारिश से निहरी के ब्रगटा गांव में भूस्खलन से एक मकान ढह गया। इससे एक ही परिवार के पांच लोग मलबे में दब गए। इनमें से तीन की मौत हो गई जबकि दो लोगों को सुरक्षित बचाया गया है। इसके अलावा मंडी के धर्मपुर के सोन खड्ड में आई बाए़ से दस से अधिक सरकारी बसें और गाड़ियां पानी के तेज बहाव में बह गई जबकि दो लोग लापता बताए जा रहे हैं। शिमला में भी कई जगह भूस्खलन से 20 से अधिक गाड़ियां मलबे में दब गईं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मंगलवार को मंडी के निहरी के ब्रगटा गांव में भूस्खलन से ढहे एक मकान में एक ही परिवार के पांच लोग मलबे में दब गए। इसके बाद बचाव अभियान चलाया गया और दो लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया। इस हादसे में परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई। मंडी के धर्मपुर में सोन खड्ड में तेज बारिश के बाद आई बाढ़ में पार्क हुईं दस से अधिक सरकारी बसें और गाड़ियों पानी के बहाव में बह गईं। यहां एक ट्रैवलर ड्राइवर और एक मेडिकल स्टोर संचालक लापता बताए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त द्रंग में सुबह मंदिर जा रहे दो लोगों के सुमा खड्ड के तेज बहाव में बहने का समाचार है। इनमें से एक का शव बरामद कर लिया गया है जबकि दूसरा लापता बताया जा रहा है।
शिमला के हिमलैंड, बीसीएस और पांजली में भी भूस्खलन में 20 से ज्यादा गाड़ियां मलबे में दब गईं। हिमलैंड में हुए भूस्खलन से शिमला की लाइफ लाइन कहे जाने वाला सर्कुलर रोड भी बंद हो गया।
मौसम विज्ञान केंद्, शिमला के मुताबिक आज छह जिलों बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर में बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है। कल से अगले 3 दिन बारिश की कम संभावनाएं हैं।
प्रदेश में अब तक 409 की गई जान ; तीन एनएच समेत 498 सड़कें बंद
इस मानसून सत्र में 409 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 76 लोगों की जान बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन से गई है। इस सीजन में भूस्खलन की 140 घटनाएं, बाढ़ की 97 और बादल फटने 46 घटनाएं पेश आई हैं। प्रदेश में तीन नेशनल हाईवे समेत 498 सड़कें बंद पड़ी हैं। इनमें 90 प्रतिशत सड़कें 16 दिनों से भी अधिक समय से अवरुद्ध हैं। इससे लोगों की आवाजाही और सेब व दूसरी फसलों की ढुलाई पर बुरा असर पड़ा है।
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