‘‘हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) अधिनियम, 2024’’ 16 जनवरी, 2025 को अधिसूचित किया गया।
‘‘हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) अधिनियम, 2024’’ 16 जनवरी, 2025 को अधिसूचित किया गया।
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन आठ विधेयकों पर चर्चा उपरांत पास किए गए, जो विधेयक पास किए गए उनमें हरियाणा विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2025, हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चिता) संशोधन विधेयक, 2025, हरियाणा आवास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा आबादी देह (स्वामित्व अधिकारों का निहितीकरण, अभिलेखन और समाधान) विधेयक, 2025, हरियाणा दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा अनुसूचित सड़क और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन (संशोधन) विधेयक, 2025 और हरियाणा जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक,2025 शामिल हैं।
हरियाणा विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2025
यह अधिनियम हरियाणा विनियोग (संख्या 4) अधिनियम, 2025, कहा जाएगा। इस अधिनियम द्वारा हरियाणा राज्य की संचित निधि में से भुगतान की जाने और उपयोग में लाई जाने के लिए प्राधिकृत राशियों का विनियोग उन्हीं सेवाओं और प्रयोजनों के लिए किया जाएगा, जो मार्च, 2026 के इकतीसवें दिन को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के सम्बन्ध में बताए गए हैं।
हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) संशोधन विधेयक, 2025
‘‘हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) अधिनियम, 2024’’ 16 जनवरी, 2025 को अधिसूचित किया गया। इस विधेयक के अंतर्गत सेवा की सुनिश्चितता का लाभ उन अतिथि संकाय सदस्यों को प्राप्त है, जिन्होंने 15 अगस्त, 2024 तक पाँच वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है। अतिथि संकाय सदस्यों द्वारा धारा 3 (VII) की व्याख्या में संशोधन की माँग की गई है, जिसमें एक वर्ष की सेवा के दौरान 240 कार्य दिवसों की गणना कैलेंडर वर्ष के बजाय किसी भी एक वर्ष की अवधि के आधार पर करने का प्रावधान हो।
यदि किसी फैकल्टी की नियुक्ति मई से दिसंबर के बीच हुई हो, तो पहले कैलेंडर वर्ष में 240 दिन पूरे न होने के कारण ऐसे अतिथि संकाय सेवा वर्ष की गणना में शामिल नहीं होते। इसी प्रकार, वर्ष 2024 में भी केवल 227 दिन 1 जनवरी से 15 अगस्त तक ही होते हैं, जिससे यह वर्ष भी अर्हता में नहीं गिना जाता। परिणामस्वरूप, उनकी सेवा आवश्यक 240 दिनों की गणना में नहीं आ पाती।
हरियाणा आवासन बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2025
हरियाणा आवास बोर्ड अधिनियम, 1971 के तहत स्थापित, हरियाणा आवास बोर्ड, राज्य में आवास और संबंधित शहरी बुनियादी ढाँचे के निर्माण में लगा हुआ है। समय के साथ, इसके संचालन संबंधी कार्य हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एच.एस.वी.पी.) के कार्यों के साथ अधिकाधिक रूप से ओवरलैप होते गए हैं जो आवास और नियोजित शहरी बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए वैधानिक ढांचे के अंतर्गत कार्य करता है।
हरियाणा निजी विश्वविद्यालय, (संशोधन) विधेयक, 2025
हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 एवं समय-समय पर किए गए संशोधनों की विभिन्न धाराओं का अवलोकन करने पर पाया गया कि धारा 34ए, 34बी, 44, 44 तथा 46 की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने हेतु संशोधन आवश्यक है।
कुछ विश्वविद्यालय ने धारा 34ए की उप-धारा (3) का दुरुपयोग करते हुए सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना ही नए पाठ्यक्रम प्रारंभ कर दिए गए, मौजूदा प्रवेश क्षमता बढ़ा दी तथा पाठ्यक्रमों का नामकरण बदल दिया है। इसलिए इस धारा में संशोधन आवश्यक है।
हरियाणा आबादी देह (स्वामित्व अधिकारों का निहितीकरण, अभिलेखन और समाधान) विधेयक, 2025
किसी राजस्व सम्पदा की आबादी देह के क्षेत्र के भीतर अधिभोगी में स्वामित्व अधिकारों के निहितीकरण, अभिलेखन और समाधान तथा उससे सम्बन्धित या उसके आनुंशगिक मामलों के लिए उपबन्ध करने हेतु हरियाणा आबादी देह (स्वामित्व अधिकारों का निहितीकरण, अभिलेखन और समाधान) विधेयक, 2025 पारित किया गया।
हरियाणा दुकान तथा वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2025
सरकार के उद्देश्यों के अनुरूप, सरकार के अनुपालन भार को कम करने, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और श्रम कानूनों को आधुनिक कार्य प्रथाओं के अनुरूप बनाने के उद्देश्य के अनुरूप, पंजाब दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों अधिनियम, 1958 की चयनित धाराओं की समीक्षा की गई है। प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य संचालन में लचीलापन बढ़ाना, बड़े प्रतिष्ठानों में श्रमिकों की बेहतर सुरक्षा और छोटे प्रतिष्ठानों के लिए सरल अनुपालन सुनिश्चित करना, पंजीकरण और शुल्क भुगतान पूरी तरह ऑनलाइन करना, श्रमिकों के कल्याण को सुदृढ़ करना और व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देना है।
हरियाणा अनुसूचित सड़क तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन (संशोधन) विधेयक, 2025
भारत सरकार द्वारा ‘‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’’ सुधारों को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी गई है, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में नियामक ढांचे का सरलीकरण एवं प्रक्रियात्मक विलंब को कम करना है। इस पहल के अंतर्गत 23 प्राथमिक सुधार क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें से 8 नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, हरियाणा से संबंधित हैं। इन सुधारों में भूमि उपयोग परिवर्तन की अनुमति प्रक्रिया का सरलीकरण, डिजिटलीकरण एवं संचालन शामिल है ताकि पारदर्शिता बढ़े और निवेशकों का विश्वास सुदृढ़ हो।
राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप यह प्रस्ताव किया गया है कि अधिसूचित विकास योजनाओं में अनुरूप भूमि उपयोग क्षेत्रों के लिए ऑनलाइन स्व-प्रमाणन प्रणाली के अंतर्गत अनुमति दी जाए। यह प्रणाली पात्र आवेदकों को डिजिटल रूप से प्रस्तुत सूचना, दस्तावेज एवं घोषणा-पत्रों के आधार पर स्वचालित सत्यापन के माध्यम से ऑनलाइन अनुमति प्रदान करेगी। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, मानवीय हस्तक्षेप कम होगा और राज्य में व्यवसाय करने की सुगमता में वृद्धि होगी
हरियाणा जन विश्वास (उपबन्धों का संशोधन) विधेयक, 2025
जीवन की सुगमता और कारोबार करने की सुगमता के लिए विश्वास आधारित शासन को और बेहतर बनाने हेतु अपराधों के निरापराधीकरण और सुव्यवस्थीकरण के लिए कतिपय अधिनियमितियों को संशोधित करने हेतु हरियाणा जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।
भारत सरकार ने ‘‘जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) अधिनियम, 2023’’ अधिनियमित किया, जिसको 11 अगस्त,2023 को अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम ने 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 उपबंधों को अपराध मुक्त कर दिया, जो विभिन्न अधिनियमों में छोटे अपराधों को व्यवस्थित रूप से अपराध मुक्त करने वाला पहला समेकित कानून है।
हरियाणा जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) विधेयक, 2025 का मकसद भरोसे पर आधारित गवर्नेंस और रेगुलेशन का बोझ कम करना; लोकतांत्रिक गवर्नेंस नागरिकों और संस्थानों पर भरोसा करने पर आधारित होनी चाहिए।
ईज ऑफ लिविंग’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधार; यह बिल सरकार के ‘‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’’ के बड़े एजेंडे के साथ जुड़ा हुआ है। इसका मकसद रेगुलेटरी सिस्टम को फिर से आकार देना है ताकि नागरिकों और व्यवसायों को कम प्रक्रियात्मक बाधाओं का सामना करना पड़े।
छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाना - कई कानून अभी भी छोटे तकनीकी या प्रक्रियात्मक गलतियों के लिए जेल या कड़ी आपराधिक सजा देते हैं। ऐसे उपाय पालन को बढ़ावा देने के बजाय उसे रोकते हैं और अदालतों पर बेवजह दबाव डालते हैं। यह बिल इनमें से कई उपबंधों को चेतावनी में बदलकर उन्हें तर्कसंगत बनाने की कोशिश करता है, खासकर पहली बार या अनजाने में किए गए उल्लंघनों के लिए। साथ ही, यह बिल राज्य कानूनों के तहत उन अपराधों के संबंध में अपराध की श्रेणी से हटाने से बचता है जो गंभीर प्रकृति के है या सार्वजनिक सुरक्षा, व्यवस्था या सुशासन के हित में बनाए रखना जरूरी है।
कोर्ट के बजाय प्रशासनिक समाधान - यह बिल ज्यादातर उल्लंघनों को कोर्ट जाए बिना, प्रशासनिक फैसले, समझौता या चेतावनी के जरिए सुलझाने पर फोकस करता है। इससे समय बचेगा, लागत कम होगी और न्यायपालिका पर बोझ कम होगा। प्रस्तावित संशोधनों में एक सक्षम अथॉरिटी को साफ तौर पर तय किया जाए ताकि जहां भी जुर्माने की जगह पेनल्टी लगाई गई है, वहां उसे लागू किया जा सकें।
भारत सरकार के जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) अधिनियम, 2023 के साथ निरंतरता के तहत शुरू किए गए सुधारों को आगे बढ़ाता है और गहरा करता है।
दंडों का समय-समय पर संशोधन- बिल ने यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया कि जहां भी संभव हो, जुर्माने को दंड में बदला जाए।
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