स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने सिविल सर्जनों के साथ राज्य स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर जारी किए निर्देश
लोगों से अपील की कि वे बाढ़ के दौरान पानी, भोजन और वेक्टर जनित बीमारियों से बचाव के लिए एडवाइजरी का पालन करें
बाढ़ प्रभावित सीमावर्ती जिलों से सुरक्षित निकाले जाने के बाद छह गर्भवती महिलाओं ने सुरक्षित रूप से बच्चों को जन्म दिया
खबर खास, चंडीगढ़ :
बाढ़ की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया, जल जनित और वेक्टर बोर्न बीमारियों की रोकथाम संबंधी विस्तृत समीक्षा के लिए सिविल सर्जनों, मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), रेड क्रॉस और केमिस्ट एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की।
स्वास्थ्य संबंधी किसी भी आपातकाल से निपटने को लेकर राज्य सरकार की वचनबद्धता दोहराते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों को तुरंत देखभाल और राहत प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर मेडिकल टीमें भेजी जा रही हैं और संसाधन जुटाए जा रहे हैं।
बैठक के दौरान बोलते हुये डॉ. बलबीर सिंह ने कहा, “हमारे नागरिकों का स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती पंजाब सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है।”
उन्होंने सिविल सर्जनों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि इस कठिन समय में कोई भी व्यक्ति चिकित्सा सहायता से वंचित न रहे। उन्होंने हिदायत की कि सभी स्वास्थ्य संस्थान मरीजों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह सुसज्जित हों और पर्याप्त दवाइयों का स्टॉक रखा जाए।
मंत्री ने बताया कि उनके निर्देशों पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को खोजने और सहायता प्रदान करने के लिए एक विशेष मिशन शुरू किया गया है। इस लक्षित पहल से जीवनरक्षक नतीजे सामने आए हैं क्योंकि फरीदकोट और फाजिल्का में टीमों ने ऐसी छह महिलाओं को सुरक्षित बचाया है और सभी ने सरकारी सुविधाओं में स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है।
उन्होंने इस संकट से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य संसाधन जुटाने का ऐलान किया। विभाग ने 360 मोबाइल मेडिकल टीमें और 458 रैपिड रिस्पॉन्स टीमें गठित की हैं, जो प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
मंत्री ने बताया कि बाढ़ राहत के लिए कुल 172 एम्बुलेंसें दिन-रात तैनात हैं। उन्होंने आगे कहा, “हमारी टीमें युद्ध स्तर पर काम कर रही हैं और हमें विश्वास है कि राज्य बाढ़ से उत्पन्न किसी भी चिकित्सा आपातकाल से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।”
मंत्री ने सिविल सर्जनों को जिला उपायुक्तों के साथ मिलकर पीने के पानी के लिए क्लोरीन की गोलियां वितरित करने और घर-घर जाकर यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि हर घर तक सुरक्षित पेयजल पहुँचे। उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आईएमए, रेड क्रॉस, केमिस्ट एसोसिएशन और एनजीओज़ को मिलकर काम करने के लिए कहा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की निदेशक डॉ. हितिंदर कौर ने विभाग की ज़मीनी रिपोर्ट पेश की। उन्होंने कहा, “हमारी टीमें जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं, इलाज सेवाएं प्रदान कर रही हैं और आवश्यक सामग्री वितरित कर रही हैं। प्रभावित क्षेत्रों में रोज़ाना मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं और कपूरथला ज़िले में एक कैंप चौबीसों घंटे सक्रिय है। वेक्टर बोर्न बीमारियों की रोकथाम के लिए स्प्रे और फॉगिंग भी की जा रही है।”
बाढ़ के दौरान पानी, भोजन से होने वाली और वेक्टर बोर्न बीमारियों की रोकथाम के लिए पंजाब स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी
आम सावधानियां: बाढ़ के पानी से सीधे संपर्क से बचें और पानी भरे इलाकों में चलते समय सुरक्षित जूते पहनें। साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोएं, खासकर खाने से पहले।
जल जनित बीमारियों की रोकथामः केवल उबला या क्लोरीन मिला पानी ही पिएं। यदि पानी उबालना संभव न हो तो क्लोरीन की गोलियों का प्रयोग करें। पानी को साफ, ढके हुए बर्तनों में रखें। ऐसा कोई भोजन न खाएं जो बाढ़ के पानी के संपर्क में आया हो।
वेक्टर जनित बीमारियों की रोकथामः मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए डिब्बों, टायरों और छतों से जमा पानी हटाएँ। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें और पूरे बाजू वाले कपड़े पहनें।
साँप के काटने से बचाव: अंधेरा होने के बाद पानी से भरे या झाड़ियों वाले क्षेत्रों में चलने से बचें। गड्ढों या घनी झाड़ियों में हाथ-पैर न डालें।
त्वचा संक्रमण: बाढ़ के पानी से लंबे समय तक संपर्क से बचें और गीले कपड़े तुरंत बदलकर सूखे कपड़े पहनें। खुजली या चकत्ते/दाने होने पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सलाह से पाउडर या मरहम लगाएँ। दस्त होने पर तुरंत ओ.आर.एस. पीना शुरू करें और नज़दीकी स्वास्थ्य कैंप या संस्थान में जाँच के लिए जाएँ।
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