पंजाब सरकार के एसएएस नगर स्थित महाराजा रणजीत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी इंस्टीट्यूट (एमआरएसएएफपीआई ) ने अपने कैडेट्स को प्रेरित करने के लिए विक्टोरिया क्रॉस और महावीर चक्र विजेता जमादार नंद सिंह की बेटी अमरजीत कौर के साथ एक प्रेरणादायक विचार-विमर्श सत्र आयोजित किया।
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब सरकार के एसएएस नगर स्थित महाराजा रणजीत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी इंस्टीट्यूट (एमआरएसएएफपीआई ) ने अपने कैडेट्स को प्रेरित करने के लिए विक्टोरिया क्रॉस और महावीर चक्र विजेता जमादार नंद सिंह की बेटी अमरजीत कौर के साथ एक प्रेरणादायक विचार-विमर्श सत्र आयोजित किया। इस सत्र का उद्देश्य कैडेट्स को जमादार नंद सिंह की बहादुरी और बलिदान की विरासत से परिचित कराना और इससे प्रेरणा लेकर जीवन में उच्च लक्ष्य निर्धारित करने तथा उत्कृष्टता के लिए निरंतर प्रयास करते रहने के लिए प्रेरित करना था।
यह गौरतलब है कि विक्टोरिया क्रॉस और महावीर चक्र विजेता जमादार नंद सिंह का जन्म 24 सितंबर, 1914 को गाँव बहादुरपुर (मानसा) में हुआ था। उन्हें बहादुरी और बलिदान के लिए सर्वोच्च सम्मान प्राप्त भारतीय सैनिक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 1 सिख बटालियन में शानदार सेवाएँ दीं।
उन्हें दूसरे विश्व युद्ध में एक कार्यकारी नायक के रूप में असाधारण साहस के लिए विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था, खासकर तब जब उन्होंने बर्मा के अराकान में बिल्कुल सीधी-सपाट 'इंडिया हिल' पर कब्जा करने के दौरान, एक जापानी ठिकाने को तबाह करने में अपनी पलटन का नेतृत्व किया था। बाद में, 1947-48 के कश्मीर युद्ध में, उन्होंने अपने सैनिकों को एक हमले से बचाते हुए अद्वितीय बलिदान दिया और इस बहादुरी के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र प्राप्त किया।
अपने पिता के शानदार सैन्य करियर के साहसिक किस्से साझा करते हुए, श्रीमती अमरजीत कौर ने जीवन में सफलता प्राप्त करने में दृढ़ता और अनुशासन के महत्व पर जोर दिया। उनके प्रेरणादायक शब्दों ने युवा कैडेट्स को और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया और देश की सेवा करने के लिए उनमें देशभक्ति और स्वाभिमान की एक नई ऊर्जा का संचार किया।
महाराजा रणजीत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी इंस्टीट्यूट के निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अजय एच चौहान ने कहा कि जमादार नंद सिंह की विरासत उनकी निर्भीकता, बहादुरी और निस्वार्थता का प्रमाण है। सर्वोच्च सम्मान प्राप्त भारतीय सैनिक के रूप में, दूसरे विश्व युद्ध और 1947-48 के कश्मीर युद्ध में उनकी बहादुरी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनकी जीवन दास्तान उनकी अटूट भावना और कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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