बैठक में खेत में पराली प्रबंधन से लेकर स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, शहरों में धूल नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और औद्योगिक अनुपालन तक विभिन्न पहलों की समीक्षा की गई।
बैठक में खेत में पराली प्रबंधन से लेकर स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, शहरों में धूल नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और औद्योगिक अनुपालन तक विभिन्न पहलों की समीक्षा की गई।
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए किए जा रहे उपायों को लेकर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में खेत में पराली प्रबंधन से लेकर स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, शहरों में धूल नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और औद्योगिक अनुपालन तक विभिन्न पहलों की समीक्षा की गई।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग तथा केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों के अनुरूप की गई इस समीक्षा बैठक में एक्शन टेकन रिपोर्ट का आकलन करने के साथ-साथ वर्ष 2025-26 के लिए राज्य और शहर स्तरीय कार्य योजनाओं को भी अंतिम रूप दिया गया। इस दौरान गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, करनाल, पानीपत, रोहतक और मानेसर सहित एनसीआर के नगर निगमों के लिए शहर-विशिष्ट रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में बताया गया कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है। वर्ष 2018-19 से अब तक 932 करोड़ रुपये की लागत से एक लाख से अधिक मशीनें किसानों को अनुदान पर उपलब्ध कराई गईं, जिससे गांवों में धान की पराली का इन-सीटू प्रबंधन संभव हो पाया। छोटे और सीमांत किसानों को समय पर मशीनरी उपलब्ध कराने के लिए कस्टम हायरिंग केंद्रों की नियमित निगरानी की जा रही है।
इसके साथ ही, एक्स-सीटू उपयोग में भी तेजी आई है और धान की पराली का उपयोग पेलेटाइजेशन यूनिट्स, थर्मल पावर प्लांटों, ईंट भट्टों और उद्योगों में किया जा रहा है। झज्जर, कुरुक्षेत्र, अंबाला, फतेहाबाद और पानीपत में स्थापित कम्प्रैस्ड बायो गैस प्लांट बड़ी मात्रा में पराली का उपयोग कर रहे हैं और कृषि अवशेषों को स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तित कर रहे हैं।
दिल्ली से 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित थर्मल पावर प्लांटों ने बायोमास को-फायरिंग में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। नवंबर 2025 तक सभी चालू इकाइयों ने छह प्रतिशत से अधिक बायोमास को-फायरिंग प्राप्त कर ली है। इनमें कम से कम 50 प्रतिशत धान की पराली शामिल है। खेदड़, पानीपत, यमुनानगर और झज्जर के संयंत्रों में बायोमास खपत में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। गैर-एनसीआर जिलों में ईंट भट्टों ने भी अनिवार्य 20 प्रतिशत बायोमास को-फायरिंग शुरू कर दी है।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी कार्यक्रम में भी तेजी आई है। विभिन्न खरीद मॉडल्स के तहत 800 से अधिक नई इलेक्ट्रिक बसों की स्वीकृति दी जा चुकी है। इसके साथ ही, पुरानी बीएस-तीन और बीएस-चार डीजल बसों को एनसीआर जिलों से बाहर स्थानांतरित किया गया है।
शहरी धूल नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया गया है। एनसीआर शहरों में चिन्हित हॉटस्पॉट्स पर मैकेनिकल रोड स्वीपर, वाटर स्प्रिंकलर और एंटी-स्मॉग गन तैनात की गई हैं। प्रमुख सड़कों को पक्का करने और हरित आवरण बढ़ाने के लिए कार्य योजनाएं वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भेजी गई हैं।
दिसंबर 2025 तक नगर पालिकाओं के 14 लाख मीट्रिक टन से अधिक पुराने ठोस अपशिष्ट के निस्तारण की दिशा में कार्य किया जा रहा है। गुरुग्राम में यह लक्ष्य वर्ष 2028 तक निर्धारित किया गया है। गुरुग्राम और फरीदाबाद के लिए प्रस्तावित नए वेस्ट-टू-फ्यूल संयंत्रों से प्रसंस्करण क्षमता की कमी पूरी होगी। निर्माण एवं विखंडन मलबे के प्रसंस्करण की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है और रीसाइकल की गई सामग्री का उपयोग सार्वजनिक निर्माण कार्यों में किया जा रहा है।
बैठक में औद्योगिक अनुपालन की समीक्षा करते हुए दिसंबर 2025 तक ऑनलाइन निरंतर उत्सर्जन निगरानी प्रणाली की स्थापना, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दैनिक निगरानी, डीजी सेट के रेट्रो फिटमेंट और थर्मल पावर प्लांटों द्वारा उत्सर्जन मानकों के पालन पर जोर दिया गया।
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