विश्व बैंक से 2030 तक 3000 करोड़ रुपये के सहयोग का प्रस्ताव : राव नरबीर सिंह
विश्व बैंक से 2030 तक 3000 करोड़ रुपये के सहयोग का प्रस्ताव : राव नरबीर सिंह
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन आज केवल किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनता जा रहा है। इस गंभीर विषय पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठियां आयोजित की जा रही हैं, जिनमें पर्यावरण विशेषज्ञ अपने अनुभव साझा कर नए शोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के एनसीआर क्षेत्र में पर्यावरणीय असंतुलन एक गंभीर चिंता का विषय है। हरियाणा सरकार पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पूरी तरह गंभीर है और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की सख्ती से अनुपालना सुनिश्चित की जा रही है।
वायु प्रदूषण को संतुलित करने के लिए विश्व बैंक ने भी पहल की है। इसके तहत हरियाणा को वर्ष 2030 तक लगभग 3000 करोड़ रुपये के सहयोग का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें पहले चरण में वर्ष 2026 तक 1000 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी। इस संबंध में विभाग द्वारा सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं।
राव नरबीर सिंह ने गत दिनों पर्यावरणीय प्रदूषण नियंत्रण की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को आगे की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नवंबर–दिसंबर के दौरान दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में धुएं की समस्या केवल पराली या मौसमी कारणों से ही नहीं होती, बल्कि वाहनों से निकलने वाला धुआं, भवन निर्माण कार्य और फैक्ट्रियों का उत्सर्जन भी इसके प्रमुख कारण हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा इस अवधि में ग्रैप–3 व 4 लागू कर वायु प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाता है, जिसकी अनुपालना एनसीआर से सटे सभी राज्यों द्वारा की जाती है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर सख्ती के लिए अब पेट्रोल पंपों पर स्थापित प्रदूषण जांच उपकरणों का नियमित निरीक्षण पर्यावरण विभाग के अधिकारी करेंगे। साथ ही, प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी करने वाली कंपनियों के नियंत्रण की जिम्मेदारी परिवहन विभाग के स्थान पर अब हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी जाएगी।
उन्होंने स्पष्ट किया है कि प्रदूषण नियंत्रण केवल कागजों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसका वास्तविक और सकारात्मक प्रभाव आम जनता के जीवन में दिखाई देना चाहिए। उन्होंने सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने, जिम्मेदारियां तय करने और नागरिकों को स्वच्छ हवा व निर्मल जल उपलब्ध कराने के लक्ष्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि उद्योगों के बिना कोई भी देश विकसित नहीं बन सकता। कृषि प्रधान हरियाणा, विकसित भारत–2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक विकास की नई पहचान स्थापित करेगा। इसके लिए आगामी पांच वर्षों की एक विस्तृत औद्योगिक रूपरेखा तैयार की जा रही है, जिसके अंतर्गत प्रदेश में 10 नए औद्योगिक मॉडल टाउनशिप (IMTs) विकसित किए जाएंगे। इनमें से दो आईएमटी गुरुग्राम के आसपास स्थापित किए जाएंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि अप्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर गुरुग्राम में “ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट” का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश–विदेश के निवेशकों को हरियाणा में उद्योग स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
गुरुग्राम बनेगा औद्योगिक और पर्यावरणीय संतुलन का मॉडल शहर
उद्योग मंत्री ने कहा कि गुरुग्राम अब एक ग्लोबल सिटी के रूप में उभर चुका है, जहां लघु भारत ही नहीं बल्कि लघु विश्व की झलक देखने को मिलती है। सरकार का उद्देश्य है कि गुरुग्राम औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी आदर्श उदाहरण बने। इसके लिए “हरित गुरुग्राम अभियान” के तहत बड़ी औद्योगिक इकाइयों से सीएसआर फंड के माध्यम से सहयोग लिया जाएगा।
हाइटेक नर्सरियों से सजेगा गुरुग्राम और सोहना
वन विभाग द्वारा गुरुग्राम और सोहना की सभी नर्सरियों को आदर्श हाइटेक नर्सरी के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की गई है। इन नर्सरियों में ऐसे पौधे तैयार किए जाएंगे, जिन्हें एक-दो वर्ष बाद शहर के विभिन्न हिस्सों में रोपा जा सके। इसके लिए दक्षिण भारत की आधुनिक नर्सरियों का अध्ययन कर हरियाणा में भी वैसी ही आधुनिक नर्सरियों को विकसित किया जाएगा।
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