कमेटी के सदस्यों ने ज़ोर देकर कहा कि हमारे गुरुओं की शिक्षाएं हमें प्रकृति की रक्षा का विश्वव्यापी संदेश देती हैं। “पवन गुरु, पानी पिता, माता धरत महतू” — इस वाक्य के ज़रिए हवा को गुरु, पानी को पिता और धरती को माँ कहा गया है, जो पर्यावरण की अहमियत को दर्शाता है।