हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (HSCPCR) ने केंद्र सरकार की SMILE योजना (Support for Marginalised Individuals for Livelihood and Enterprise) के तहत एक राज्य समर्थित बचाव और पुनर्वास पहल शुरू कर दी है।
हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (HSCPCR) ने केंद्र सरकार की SMILE योजना (Support for Marginalised Individuals for Livelihood and Enterprise) के तहत एक राज्य समर्थित बचाव और पुनर्वास पहल शुरू कर दी है।
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने प्रदेश में संगठित बाल भिक्षावृत्ति पर कड़ा संज्ञान लेते हुए राज्यस्तरीय अंतर-विभागीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें पुलिस, बाल संरक्षण, स्वास्थ्य, श्रम और सामाजिक कल्याण विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और बाल भिक्षावृत्ति के मूल कारणों को समाप्त करने और इसे जड़ से मिटाने के लिए रोडमैप तैयार किया गया।
जिसके तहत हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (HSCPCR) ने केंद्र सरकार की SMILE योजना (Support for Marginalised Individuals for Livelihood and Enterprise) के तहत एक राज्य समर्थित बचाव और पुनर्वास पहल शुरू कर दी है।
बैठक में जानकारी दी गई कि बाल भिक्षावृत्ति केवल गरीबी का परिणाम नहीं है बल्कि कई मामलों में यह एक संगठित आपराधिक पेशा बनकर उभरा है, जिसमें बच्चों को गिरोहों, मानव तस्करों या यहां तक कि रिश्तेदारों द्वारा पैसों के लिए सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता है। भिक्षावृत्ति बच्चों को शिक्षा से वंचित करता है और उनक शोषण भी होता है और उन्हें जीवन भर असुरक्षा के चक्र में फंसा देती है।
पायलट प्रोजेक्ट होगा तीन चरणों में, तोड़ा जाएगा भिक्षावृत्ति का चक्रव्यूह
पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिला प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग और सरकारी संगठनों के द्वारा संयुक्त रूप से प्रारंभ में भिक्षावृत्ति हॉटस्पॉट जैसे कि ट्रैफिक लाइट, धार्मिक स्थल और बाजार का सर्वे किया जाएगा।इसके बाद बाल भिक्षुकों की गणना और अनाथ, परित्यक्त या बिना पारिवारिक सहयोग वाले बच्चों की पहचान की जाएगी।
दूसरे चरण में जिला टास्क फोर्स द्वारा तत्काल आश्रय की आवश्यकता वाले बच्चों का बचाव किया जाएगा और कानूनी संरक्षण के लिए मामलों को बाल कल्याण समिति को भेजा जाएगा। उसके बाद किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत सामाजिक जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर व्यक्तिगत पुनर्वास योजना बनाई जाएगी।
तीसरे चरण में पुनः शोषण और मानव तस्करी को रोकने पर फोकस रहेगा, जिसमें पुनर्वासित बच्चों की नियमित निगरानी की जाएगी। उनकी शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और जहां संभव हो, पारिवारिक पुनर्मिलन के प्रयास किए जाएंगे।
बैठक में इस बात पर गंभीरता से चर्चा की गई कि कई शहरों में भिक्षावृत्ति एक सुव्यवस्थित रैकेट के रूप में चलती है, जिसमें बच्चों का आय के स्रोत के रूप में शोषण होता है। यह पायलट प्रोजेक्ट न केवल बच्चों को सड़कों से हटाने पर बल्कि पुलिस कार्रवाई, खुफिया सूचना साझाकरण और समन्वित फॉलो-अप के माध्यम से इन आपराधिक नेटवर्क को तोड़ने पर केंद्रित रहेगा।
बैठक में बताया गया कि बाल भिक्षावृत्ति मासूमियत का शोषण और मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन है। हरियाणा इसे बचाव, पुनर्वास और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के जरिए खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री सुधीर राजपाल ने अगली बैठक 15 दिनों में बुलाने के निर्देश दिए, जिसमें आज की बैठक के बाद विभागों द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा की जाएगी और इस मॉडल को अमलीजामा पहनाया जाएगा।
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