कहा, हल्का विधायक ने इस मुद्दे पर लगातार लोगों को गुमराह किया
कहा, हल्का विधायक ने इस मुद्दे पर लगातार लोगों को गुमराह किया
खबर खास, एसएएस नगर :
सीनियर कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने गमाडा द्वारा मोहाली के सेक्टर 76 से 80 के अलॉटियों को ₹3,164 प्रति वर्ग मीटर की बढ़ी हुई कीमत जमा कराने के लिए भेजे गए नोटिसों की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने इस फैसले को मनमाना, अनुचित और बेबुनियाद करार दिया।
सिद्धू ने कहा कि सेक्टर 76–80 में विभिन्न श्रेणियों के प्लॉट वर्ष 2000 में ₹3,300 से ₹3,350 प्रति वर्ग गज की दर से अलॉट किए गए थे और इनका कब्ज़ा वर्ष 2002 में दिया जाना था। लेकिन GMADA की गलती और उसके चलते हुई कानूनी कार्रवाई के कारण कब्ज़ा 2013 से 2019 के बीच दिया गया। उन्होंने कहा कि GMADA द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2013 के फैसले का हवाला देकर करीब 10 साल बाद, वर्ष 2023 में बढ़ी हुई कीमत के साथ ब्याज वसूलने का निर्णय किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।
सिद्धू ने आगे कहा कि करीब 12 से 15 साल की देरी से प्लॉट मिलने के कारण निर्माण लागत कई गुना बढ़ चुकी थी, जिसका खामियाज़ा अलॉटी पहले ही GMADA की गलती की वजह से भुगत चुके हैं। अब बढ़ी हुई कीमत के साथ ब्याज और जुर्माना वसूलने का यह तानाशाही फैसला अलॉटियों पर दोहरी मार के समान है।
पूर्व मंत्री ने इस गंभीर मामले पर क्षेत्र के विधायक कुलवंत सिंह पर बार-बार लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कल अख़बारों में प्रकाशित विज्ञापनों के जरिए कुछ समय पहले इस बढ़ोतरी में से ₹839 प्रति वर्ग मीटर घटाने के दावे की सच्चाई अब सामने आ गई है। उन्होंने कहा कि विधायक अभी भी यह कहकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं कि अख़बारों में प्रकाशित नोटिस केवल आवासीय पते की पुष्टि के लिए थे, जबकि इन नोटिसों में साफ़ और स्पष्ट शब्दों में ₹3,164 प्रति वर्ग मीटर की बढ़ी हुई कीमत की वसूली का उल्लेख किया गया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि विधायक कुलवंत सिंह द्वारा GMADA के ₹839 प्रति वर्ग मीटर की रियायत देने के फैसले को अगली पंजाब कैबिनेट बैठक में मंज़ूरी मिलने के दावे का प्रचार महज़ लोगों को बहलाने के लिए दी जा रही “झूठी तसल्ली” से ज़्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि 15 अक्टूबर 2025 को GMADA द्वारा यह फैसला लिए जाने के बाद पंजाब कैबिनेट की कितनी बैठकें हो चुकी हैं और उन बैठकों में अब तक इस फैसले को मंज़ूरी क्यों नहीं मिली।
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